इस लेख में मैं आपको Tuberculosis kya hai? इसकी पूरी जानकारी दूंगा । इस लेख को पढ़कर आपको Tuberculosis (T.B.) की पूरी Knowledge हो जाएगी। आज के समय में Tuberculosis एक ऐसी बीमारी है जिसके सबसे ज्यादा मरीज देखने को मिलते हैं। जिसको हम लोग टी.बी. या क्षय रोग के नामो से जाना जाता हैं यह एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि फेफड़ों का टीबी सबसे कॉमन टीबी है, ये हवा के जरिए भी एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल जाता है। लेकिन फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूट्रस, मुंह, किडनी, गले और लीवर में भी टीबी हो सकता है जो बेहद घातक होता है। तो आइये मैं आपको Tuberculosis (T.B.) की पूरी जानकारी देता हूँ।
Tuberculosis Rog kya Hota Hai?
ट्यूबरकुलोसिस को टी.बी. या क्षयरोग के नामो से जाना जाता हैं। ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी.) एक संक्रामक रोग है, आज के समय में ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) एक ऐसा गंभीर रोग है। जिसके सबसे ज्यादा मरीज देखने को मिलते हैं।
जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि फेफड़ों का टीबी सबसे कॉमन टीबी है, ये हवा के जरिए भी एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल जाता है। यह भले ही एक पुरानी बीमारी क्यों न हो लेकिन फ़िलहाल लोगों के पास इससे जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूट्रस, मुंह, किडनी, गले और लीवर में भी टीबी हो सकता है जो बेहद ज्यादा घातक बनाता है।
TB Ka Full Form in Hindi
दोस्तों TB की फुल फॉर्म होती है ” Tuberculosis (Pulmonary Tuberculosis” | और टी बी का हिंदी में मतलब होता हैं “क्षय रोग” या “तपेदिक” ।
Tuberculosis ke Prakar
ट्यूबरकुलोसिस मुख्यता चार प्रकार के होते हैं-
- लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस : लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस में बैक्टीरिया आपके शरीर में होता है, लेकिन आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली उसे सक्रिय नहीं होने देती है। लेटेंट ट्यूबरक्लोसिस के लक्षण आपको अनुभव नहीं होते हैं और यह बीमारी के कारण नहीं फैलती है। हालांकि, अगर आपको लेटेंट ट्यूबरकुलोसिस है तो वह सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस बन सकता है।
- सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस : सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस में बैक्टीरिया आपके शरीर में विकसित हो रहा होता है और आपको इसके लक्षण भी अनुभव होते हैं। अगर आपको सक्रिय ट्यूबरकुलोसिस है तो यह बीमारी के कारण दूसरे में फैल सकती है।
- पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस : यह फेफड़ों को प्रभावित करता है और ट्यूबरकुलोसिस का प्राथमिक रूप है। अधिकतर यह बच्चों या बूढ़ों में देखने को मिलता है।
- एक्स्ट्रा पल्मोनरी ट्यूबरक्लोसिस : यह फेफड़ों से अन्य जगहों पर होता है जैसे कि हड्डियां, किडनी और लिम्फ नोड आदि। ट्यूबरकुलोसिस का यह प्रकार प्राथमिक रूप से प्रतिरक्षा में अक्षम के मरीजों में होता है।
Tuberculosis Hone Ke karan
ट्यूबरक्लोसिस का कारण अनेक स्थितियां हो सकती हैं। क्षय रोग यानि टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Mycobacterium tuberculosis) जीवाणु के कारण होता है। ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित मरीज जब छींकता, खांसता और थूकता है तो उसके द्वारा छोड़ी गई सांस से वायु में टीबी के बैक्टीरिया फैल जाते हैं।
यह बैक्टीरिया कई घंटों तक वायु में जीवित रहते हैं और स्वस्थ व्यक्ति भी आसानी से इसका शिकार बन सकते हैं। जैसा कि हमने ऊपर बताया टीबी एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और इसके होने के भी कई कारण हैं जैसे-
- डायबिटीज : अगर कोई व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है तो टीबी रोग भी उसे बड़ी आसानी से हो सकता है, इसलिए डायबिटीज के मरीजों को अपने स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना चाहिए।
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता : ट्यूबरक्लोसिस एक संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और यह उस व्यक्ति को जल्दी अपनी चपेट में लेता है जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत कमजोर होती है।
- किडनी रोग : एक रिसर्च में पाया गया है, कि उन लोगों को भी टीबी रोग जल्दी हो जाता है जो किडनी रोग से पीड़ित होते हैं या कभी किडनी से संबंधित कोई बीमारी हुई हो।
- संक्रमण : ट्यूबरक्लोसिस रोग एचआईवी ऐड्स (Hiv Aids) जैसे संक्रमण के कारण भी फैलता है।
- कुपोषण : ट्यूबरक्लोसिस रोग होने का सबसे बड़ा कारण कुपोषण है। जो लोग कुपोषण के शिकार हैं उनमें यह बीमारी ज्यादा देखी गई है।
Tuberculosis Ke Lakshan
जैसे हर एक बीमारी के कोई ना कोई लक्षण होते हैं वैसे ट्यूबरक्लोसिस होने पर लोगों में अनेक लक्षणों का अनुभव होन लगता हैं। आप इसके लक्षणों को आसानी से पहचान सकते हैं जैसे-
- तीन सप्ताह से अधिक समय तक खांसी होना।
- सांस फूलना।
- सांस लेने में तकलीफ होना।
- शाम के दौरान बुखार का बढ़ जाना।
- सीने में तेज दर्द होना।
- अचानक से वजन का घटना।
- भूख में कमी आना।
- बलगम के साथ खून आना।
- फेफड़ों का संक्रमण होना।
- लगातार खांसी आना।
- अस्पष्टीकृत थकान होना।
- बुखार आना।
Tuberculosis (ट्यूबरकुलोसिस) आमतौर पर फेफड़ों को प्रभवित करता है, लेकिन यह दूसरे अंग जैसे कि गुर्दे, रीढ़ और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। कुछ मामलों में ट्यूबरकुलोसिस फेफड़ों के बाहर भी विकसित हो सकता है। इसमें छोटी ग्रंथियां, हड्डियां व जोडें, पाचन तंत्र, मूत्राशय व प्रजनन प्रणाली और मस्तिष्क व नसें (तंत्रिका तंत्र) शामिल हैं।
इनके लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- लकवा लगना।
- पेट में दर्द होना।
- ग्रंथियों में स्थिर सूजन होना।
- डायरिया की शिकायत होना।
- पीठ में अकड़न होना।
- प्रभावित हड्डी में दर्द और उसकी कार्यशीलता में कमी आना।
- भ्रम होना।
- सिर में स्थिर दर्द होना।
- कोमा की स्थिति होना।
- दौरा पड़ना।
ट्यूबरक्लोसिस का आमतौर पर उन लोगों को होता है जिसकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है। अगर आप खुद में ट्यूबरक्लोसिस लक्षण को अनुभव करते हैं तो जल्द से जल्द विशेषज्ञ से परामर्श करना चाहिए।
Tuberculosis ke Kitne Charan Hai?
ट्यूबरक्लोसिस के तीन चरण होते हैं-
- एक्सपोजर
- लेटेंट
- एक्टिव डिजीजइस बीमारी का स्किन टेस्ट या ब्लड टेस्ट की मदद से इस बीमारी का उपचार किया जा सकता है। इसे ठीक करने और अन्य लोगों में इसके प्रसार को रोकने के लिए अनुशंसित उपचार बिल्कुल आवश्यक है।
Tuberculosis Kaise Failta Hai?
ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी.) एक संक्रामक रोग है, आज के समय में ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) एक ऐसा गंभीर रोग है। जिसके सबसे ज्यादा मरीज देखने को मिलते हैं। जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फैल जाता है। ये हवा के जरिए भी एक इंसान से दूसरे इंसान में फैल जाता है। टीबी तब फैल सकता है जब सक्रिय टीबी रोग वाला व्यक्ति खांसने, छींकने, बात करने, गाने या हंसने पर टीबी के कीटाणु हवा में फैल जाते हैं। टीबी रोग वाले बीमार व्यक्ति के पास कोई भी व्यक्ति टीबी के कीटाणुओं को अपने फेफड़ों में सांस के जरिए ले सकता है। यह भले ही एक पुरानी बीमारी क्यों न हो लेकिन फ़िलहाल लोगों के पास इससे जुड़ी ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूट्रस, मुंह, किडनी, गले और लीवर में भी टीबी हो सकता है जो बेहद ज्यादा घातक बनाता है।
Tuberculosis Se Bachav Ke Upay Kya Hain?
अनेक कारणों से ट्यूबरक्लोसिस संक्रमण होता है। हालाँकि, कुछ सक्रिय उपाय की मदद से ट्यूबरक्लोसिस के खतरे को कम कर इससे बचा जा सकता है। ट्यूबरक्लोसिस से बचने के लिए आप निम्न बिंदुओं का पालन कर सकते हैं:
- दो हफ्तों से अधिक समय तक खांसी रहने पर तुरंत डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
- ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित मरीज के पास न जाएं और अगर जाएं भी तो मास्क अवश्य लगाएं।
- ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित मरीज के बिस्तर, रुमाल या तैलिया आदि का इस्तेमाल न करें।
- अगर आपके आस-पास कोई खांस रहा है तो अपने मुंह को रुमाल से ढक लें और वहां से दूर हट जाएं।
- अगर आप ट्यूबरकुलोसिस से पीड़ित मरीज से मिलने जा रहे हैं तो वापस आकार हाथ और मुंह को अच्छी तरह धोएं और कुल्ला करें।
- विटामिन्स, मिनरल्स, कैल्शियम और फाइबर से भरपूर खाद्य-पदार्थों का सेवन करें, इससे रोग प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है।
ट्यूबरक्लोसिस के मरीज को मास्क पहनकर रखना चाहिए ताकि दूसरे इस संक्रमण की चपेट में न आएं। अगर आप ट्यूबरक्लोसिस परहेज के बारे में अधिक जानना चाहते हैं तो कृपया हमारे विशेषज्ञ से परामर्श करें।
अपनी रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बूस्ट करने के उपाय अपनाएं। इसके लिए संतुलित आहार लें और एक्टिव लाइफस्टाइल अपनाएं।
- भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर ना जाएं।
- प्रदूषण, धूल-धुआं और दूषित हवा वाले स्थानों पर जानें से बचें।
- टीबी के मरीजों से थोड़ी दूर रहकर ही बात करें।
- टीबी के मरीज जब किसी से मिलें तो कमरे में एसी बंद कर दें और खिड़कियां-दरवाजे खोल दें। दरअसल, कोरोना की तरह टीबी के बैक्टेरिया भी बंद कमरे में घूमता रहता है और वहां आने वाले अन्य लोगों को भी संक्रमित कर सकता है।
- खांसते और छींकते समय चेहरे को साफ नैपकिन या रूमाल से कवर करें और इस्तेमाल के बाद इन चीजों को कूड़े में डाल दें।
- इसी तरह टीबी के मरीजों को कहीं भी थूकने से परहेज करना चाहिए क्योंकि इससे भी टीबी की बीमारी फैल सकती है।
सोशल डिस्टेंसिंग का अवश्य पालन करें।
Tuberculosis Ka Nidan?
ट्यूबरकुलोसिस (टी.बी.) एक संक्रामक रोग है, टीबी के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला निदान उपकरण त्वचा परीक्षण (Skin Test) है, हालांकि रक्त परीक्षण (Blood Test) टेस्ट शामिल हैं। नामक पदार्थ की एक छोटी मात्रा को आपके अग्रभाग (forearm) के अंदर की त्वचा के ठीक नीचे इंजेक्ट किया जाता है।
48 से 72 घंटों के भीतर, एक जांचकर्ता इंजेक्शन स्थल पर सूजन देखने के लिए आपके हाथ की जांच करेगा। जांच के दौरान यदि एक सख्त, उभरी हुई लाल गांठ दिखाई देती है तो इसका मतलब है कि आपको टीबी संक्रमण होने की संभावना है। उभार का आकार निर्धारित करता है कि परीक्षण के परिणाम महत्वपूर्ण हैं या नहीं। इन स्किन टेस्ट और टीबी ब्लड टेस्ट के अलावा, डॉक्टर ट्यूबरक्लोसिस उपचार करने के लिए अन्य जांचों का भी सुझाव दे सकते हैं जैसे- कि CBNAAT टेस्ट, छाती का एक्स-रे और स्प्यूटम टेस्ट आदि।
Tuberculosis Ki Roktham?
टीबी के संक्रमण को रोकने में मदद के लिए:
- यदि आपको गुप्त संक्रमण है, तो अपनी सभी दवाएं लें ताकि यह सक्रिय और संक्रामक न हो।
- यदि आपको सक्रिय टीबी है, तो अन्य लोगों के साथ अपने संपर्क को सीमित करें। हंसते, छींकते या खांसते समय अपना मुंह ढक लें
- उपचार के पहले हफ्तों के दौरान जब आप अन्य लोगों के आसपास हों तो सर्जिकल मास्क पहनें।
- यदि आप किसी ऐसी जगह की यात्रा कर रहे हैं जहाँ टीबी आम है, तो बीमार लोगों के साथ भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ज़्यादा समय बिताने से बचें।
Tuberculosis Ka Ilaj?
ट्यूबरक्लोसिस का इलाज अनेक माध्यमों से किया जा सकता है। नीचे हम ट्यूबरक्लोसिस के उपाय के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। टीबी के मुख्य उपचार में कम से कम 6 महीने तक एंटीबायोटिक्स लेना शामिल है। अगर टीबी आपके मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी या आपके हृदय के आस-पास के क्षेत्र में फैल गया है,
तो आपको कुछ सप्ताहों के लिए स्टेरॉयड दवा लेने की भी आवश्यकता हो सकती है। इन सबके अलावा, ट्यूबरक्लोसिस का उपचार करने के लिए डॉक्टर निम्न का भी सहारा ले सकते हैं, ज्यादातर लोग टीवी को एक लाइलाज बीमारी मानते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कुछ उपायों से इसका इलाज किया जा सकता है जैसे-
- दवाइयां : शुरुआती दिनों में डॉक्टर टीबी को ठीक करने के लिए कुछ दवाइयां देते हैं, ये दवाइयां पीड़ित व्यक्ति के शरीर में जाकर टीबी के टिशू को खत्म करती हैं जिससे यह शरीर के अन्य भागों में ना फैले।
- एक्स-रे : अगर दवाइयों से भी टीबी रोग खत्म नहीं होता है तो डॉक्टर एक्स-रे करवाते हैं, जिससे यह पता लगता है की टीबी ने प्रभावित जगह को कितना खराब किया है और फिर उसके हिसाब से इलाज किया जाता है।
- आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक इलाज : ज्यादातर लोग आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक इलाज पर भरोसा करते हैं क्योंकि ये बीमारी को जड़ से खत्म करने की क्षमता रखता है। साथ ही आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक ट्रीटमेंट में पीड़ित व्यक्ति को किसी भी तरह के दर्द से नहीं गुजरना पड़ता है।
उजाला सिग्नस हेल्थकेयर ग्रुप के 13 अस्पताल हैं जो रेवाड़ी, सोनीपत, पानीपत, कुरक्षेत्र, कैथल, बहादुरगढ़, करनाल, कानपुर, वाराणसी, काशीपुर, दिल्ली के नांगलोई, दिल्ली के रामा विहार में स्थित हैं।
ऊपर दिए गए ट्यूबरक्लोसिस से बचने के उपाय हैं जिनकी मदद से आप टीबी के लक्षणों को दूर और इसके खतरे को कम या खत्म कर सकते हैं।
Tuberculosis Mein Kya Khayen Aur Kya Nahin
ट्यूबरक्लोसिस के को संतरे, आम, मीठे कद्दू और गाजर, अमरूद, आंवला, टमाटर, नट और बीज जैसे फल और सब्जियां को अपनी डाइट में शामिल करने का सुझाव दिया जाता है, क्योंकि ये सभी विटामिन ए, सी और ई का एक उत्कृष्ट स्रोत हैं।
साथ ही, एक टीबी मरीज को कैफीन, रिफाइंड चीनी और आटा, सोडियम और बोतलबंद सॉस से बचना चाहिए। संतृप्त और ट्रांस वसा वाले खाद्य पदार्थ डायरिया और पेट में ऐंठन और थकान के टीबी के लक्षणों को और खराब कर देते हैं। ट्यूबरक्लोसिस के उपचार और इलाज के दौरान शराब और तंबाकू का सेवन नहीं करना चाहिए।
Baar-Baar Puche Jane Wale Prashn?
ट्यूबरक्लोसिस का मतलब क्या होता है?
यक्ष्मा, तपेदिक, क्षयरोग, एमटीबी या टीबी (tubercle bacillus का लघु रूप) एक आम और कई मामलों में घातक संक्रामक बीमारी है जो माइक्रोबैक्टीरिया, आमतौर पर माइकोबैक्टीरियम तपेदिक के विभिन्न प्रकारों की वजह से होती है। क्षय रोग आम तौर पर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन यह शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं।
ट्यूबरक्लोसिस रोग कैसे होता है?
शरीर में टीबी की बीमारी की शुरुआत माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होती है. शुरुआत में तो शरीर में कोई लक्षण नहीं दिखते हैं, लेकिन जैसे-जैसे यह संक्रमण बढ़ता जाता है, मरीज की परेशानियां भी बढ़ने लगती हैं. जिन लोगों के शरीर की इम्यूनिटी कमजोर होती है, उन्हें टीबी का खतरा ज्यादा रहता है।
टीबी के मरीज को क्या क्या तकलीफ होती है?
लिवर में टीबी के लक्षण:-
- लिवर का आकार बढ़ना
- पेट में दर्द की समस्या
- वजन लगातार कम होना
- तिल्ली का बढ़ना
- बुखार
- पीलिया
- सांस लेने में तकलीफ
टीवी किसकी कमी से होता है?
ट्यूबरक्लोसिस, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया आमतौर पर फेफड़ों पर हमला करता है। कुछ मामलों में, यह किडनी, रीढ़ और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है। यदि पर्याप्त उपचार प्राप्त नहीं किया गया तो ट्यूबरक्लोसिस घातक हो सकता है।
टीवी का मरीज कितने दिन में मर जाता है?
6-9 महीने चलता है सामान्य टीबी का इलाज
टीबी के लक्षणों के बाद इस रोग की पहचान होने के तुरंत बाद चिकित्सक इलाज के रूप में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करते हैं. यह कोर्स कम से कम 6 महीने और अधिकतम 9 महीने में पूरा हो जाता है. इस अवधि में ट्यूबरक्यूलोसिस का बैक्टीरिया मर जाता है और मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है।
टीबी की जांच के लिए कौन सा टेस्ट होता है?
पुनरीक्षित राष्ट्रीय क्षय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के जिला समन्वयक सतेंद्र कुमार ने बताया कि ट्यूबरक्लोसिस स्किन टेस्ट को मोंटेक्स टेस्ट के नाम से भी जाता है। इसमें इंजेक्शन के जरिए स्किन में दवा डाली जाती है। 48 से 72 घंटे के बाद यदि स्किन पर चकत्ते पड़ जाते हैं तो रिजल्ट पाजीटिव मान लिया जाता है।
क्या टीबी छूने से फैल सकती है?
आप केवल टीबी के कीटाणुओं को हवा में सांस लेने से संक्रमित कर सकते हैं जिन्हें कोई व्यक्ति खांसता है। आपको किसी के कपड़े, पीने का गिलास, खाने के बर्तन, हाथ मिलाने, शौचालय या अन्य सतहों से जहां टीबी का मरीज रहा हो, टीबी नहीं हो सकती है।
टीबी की सबसे अच्छी दवा कौन सी है?
टीबी के लिए मानक उपचार में आइसोनियाज़िड, रिफाम्पिसिन (इसे संयुक्त राज्य अमेरिका में रिफाम्पिन के नाम से भी जाना जाता है), पायराज़ीनामाईड और एथेमब्युटोल का उपयोग दो महीने के लिए किया जाता है, इसके बाद केवल आइसोनियाज़िड और रिफाम्पिसिन का उपयोग चार महीने के लिए किया जाता है।
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